Rich Dad Poor Dad Book Summary Hindi

पैसों के बारे में अमीर लोग अपने बच्चों को ऐसा क्या सिखाते हैं जो  गरीब और मध्यम वर्ग के माता-पिता नहीं  सिखाते जानिए Rich Dad Poor Dad Book Summary Hindi मै |

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Rich Dad Poor Dad Book Summary Hindi हमें क्यों पढ़नी चाहिए. 

अमीरी की चोटी पर पहुंचने के लिए आपको रिच डैड  पुअर डैड पढ़नी चाहिए इससे आपको बाजार की और  पैसों की व्यवहारिक समझ मिलेगी जिससे आपका आर्थिक  भविष्य सुधर सकता है |’’

– होनोलूलू म्यग्ज़ींन 

                                      ‘’काश कि मैं यह पुस्तक अपनी जवानी में पड़ी होती या शायद इससे भी अच्छा ही होता कि यह पुस्तक मेरी माता-पिता ने पड़ी  होती यह तो इस तरह की पुस्तक है कि आप इसकी एक-एक कॉपी अपने हर बच्चों को देते और कुछ कॉपी खरीद कर रख लेते हैं ताकि जब अपने नाती पोते हो और वह 8 या 9 साल की हो जाए तो आप उसे उपहार में दे सके|’’

– सीऊ बोर्न

 टेनेन्ट  चेक ऑफ़ अमेरिका के प्रेसिडेंट 

                                       ‘’रिच डैड पुअर डैड अमीरी का शॉर्टकट नहीं बताती है यह सिखाती है कि आप पैसे की समझ कैसे विकसित करें किस तरह से अपने पैसे की जिम्मेदारी निभाई और इसके बाद किस तरह अमीर बने अगर अपनी आर्थिक प्रतिभा को जागना चाहते हैं तो इसे जरूर पड़े|’

– लैरीसन क्लार्क, डायमंड की होम्स

 इंक मैग्जीन के अमेरिका में सबसे तेजी से बढ़ रहे भवन निर्माता 1995     

   ‘’जो भी व्यक्ति भविष्य में अमीर बनना चाहता है उसे अपने शुरुआत रिच डैड पुअर डैड से करनी चाहिए.|’’

प्रस्तावना

इसकी बहुत जरूरत है

Rich Dad Poor Dad Book Summary Hindi

       क्यों स्कूल बच्चों को असली जिंदगी के लिए तैयार करता है? मेरी मम्मी-डैडी कहते थे मेहनत से पढ़ो आप अच्छे नंबर लाओ क्योंकि ऐसा करोगे तो एक अच्छी तनख्वाह वाली नोकरी मिल जाएगी उनके जीवन का लक्ष्य यही था कि मेरी  बड़ी बहन और मेरी कॉलेज की शिक्षा पूरी हो जाए उनका मानना था कि अगर कॉलेज की शिक्षा पूरी हो गई तो हम जिंदगी में ज्यादा कामयाब हो सकेंगे जब मैं 1976 में अपना डिप्लोमा हासिल किया |

मैं फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी में अकाउंटिंग में ऑनर्स के साथ ग्रेजुएट हुई और अपनी कक्षा में काफी उच्च स्थान पर रही तो मेरे मम्मी-डैडी का लक्ष्य पूरा हो गया था यह उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि थी ‘’मास्टर प्लान’’ के हिसाब से मुझे एक ‘’बिग 8’’ अकाउंटिंग फॉर्म में नौकरी भी मिल गई अब मुझे उम्मीद थी एक लंबे करियर और कम उम्र में रिटायरमेंट की | 

                      मेरे पति माइकल भी इस रास्ते पर चले थे| हम दोनों भी बहुत मेहनती परिवारों से आते थे जो बहुत अमीर नहीं थे माइकल ने ऑनर्स के साथ ग्रेजुएट किया था एक बार नहीं बल्कि दो बार पहली बार इंजीनियरिंग के रूप में और फिर लॉ स्कूल से जल्दी पेटेट लो में विशेषताएं रखने वाली वाशिंगटन डी.सी.की एक मानी लॉ फॉर्म मै नौकरी मिल गई और इस तरह उनका भविष्य भी सुनहरा लग रहा था उनके करियर का नक्शा साफ था और यह बात तय थी कि वह भी जल्दी रिटायर्ड हो सकते थे|

     हालांकि हम दोनों ही अपने करियर में सफल रहे परंतु हम जो सोचते थे हमारे साथ ठीक वैसा ही नहीं हुआ हमने कई बार नौकरियां बदली हालांकि हर बार नौकरी बदलने के कारण हम सही थे परंतु हमारे लिए किसी ने भी पेंशन योजना मैं निवेशनहीं किया हमारे रिटायरमेंट फंड हमारे खुद के लगाए पैसे से ही बढ़ रहे है|

                     हमारी शादी बहुत सफल रही है और हमारे तीन बच्चे हैं उसमें से दो कॉलेज में है और तीसरा अभी हाई स्कूल में गया है हमने अपने बच्चों को सबसे अच्छी शिक्षा दिलाई में बहुत सारे पैसा लगाया |   

                     1996 में एक दिन मेरा बेटा स्कूल से घर लौट स्कूल से उसका मोहबंग हो गया था वह पढ़ाई से ऊब चुका था मैं उन विषयो को पढ़ने में ज्यादा समय क्यों  बर्बाद करु जो फसल जिंदगी में मेरे कभी काम नहीं आएगी उसने विरोध किया 

 बिना सोचे विचारे ही मैंने जवाब दियाक्योंकि अगर तुम्हारे अच्छे नंबर नहींआई तो तुम कभी कॉलेज नहीं जा पाओगे’’|

‘’ चाहे में कॉलेज जाऊ या ना जाऊ, ‘’उसने जवाब दिया, ‘’मैं अमीर बन कर दिखाऊंगा|’’

 ‘’अगर तुम कॉलेज से ग्रेजुएट नहीं हुई तो तुम्हें कोई अच्छी नौकरी नहीं मिलेगी, ‘’मैंने एक मां की तरह चिंतित और  आतंकित होकर कहा| ‘’बिना अच्छी नौकरी के तुम किसी तरह अमीर बनने के सपने देख सकते हो?’’ 

                       मेरे बेटे ने मुस्कुराकर अपने सिर को बोरियत भरे अंदाज में हिलाया हम यह चर्चा पहले भी कई बार हो चुके थे उसने अपने सर को झुकाया और अपने आखें घूमने लगा मेरी समझदारी भरी सलाह एक बार फिर उसके कानों से भीतर नहीं गई थी |

हालांकि वह स्मार्ट और प्रबल इच्छा शक्ति वाला योग था परंतु वह नरेंद्र और शालीन भी था |

                     ‘’मम्मी,’’ उसने बोलना शुरू किया और भाषण सुनने की बारी अब मेरी थी | समय के साथ चलिए अपने चारों तरफ देखिए सबसे अमीर लोग अपनी शिक्षा के कारण इतने आमिर नहीं बने है माइकल जॉर्डन और मैडोना तो देखिए यहां तक के बीच में ही हावर्ड देने वाले बिल गेट्स में माइक्रोसॉफ्ट कायम किया आज भी अमेरिका के सबसे अमीर व्यक्ति है और अभी उनकी उम्र भी 30 से 40 के बीच ही है और उस बेसबॉल पिक्चर के बारे में तो आपने सुना ही होगा जो हर साल 40 लाख डॉलर से ज्यादा कमाता है जबकि उस पर दिमागी तौर पर कमजोर होना का लेबल लगा हुआ है |

                      हम दोनों काफी समय तक चुप रहे अब मुझे यह समझ में आने लगा था कि मैं अपने बच्चों को वहीं सलाह दे रही थी जो मेरे माता-पिता ने मुझे दी थी हमारे चारों तरफ की दुनिया बदल रही थी, परंतु हमारी सलाह नहीं बदल रहे थी|

                      अच्छी शिक्षा और अच्छी ग्रेड हासिल करना अब सफलता की गारंटी नहीं  रह गई थीऔर हमारे बच्चों के अलावा यह बात किसी की समझ में नहीं आई थी |

                       ‘’मम्मी, ‘’उसने आगे कहा मैं डैडी और आपकी तरह कड़ी मेहनत नहीं करना चाहता| आपको काफी पैसा मिलता है और हम एक शानदार मकान में रहते हैं जिसमें बहुत से कीमती सामान है मैं आपकी सलाह मानूंगा तो मेरा हाल भी आपकी ही तरह होगा | मुझे भी ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी ताकि मैं ज्यादा टैक्स भर सकूं और कर्ज में डूब जाऊं वैसे भी आज की दुनिया में नौकरी की सुरक्षा बची नहीं है |

मैं यह जानता हूं कि छोटे और सही आकार की फर्म कैसी होती है मैं यह नहीं जानता हूं कि आज के दौर में कॉलेज के शिक्षकों को कम तनख्वाह मिलती है जबकि आपके जमाने में उन्हें ज्यादा तनख्वाह मिलती थी डॉक्टर को देखिए वे अब उतना पैसा ही नहीं कमाते जितना पहले कभी कमाया करते थे मैं जानता हूं कि मैं रिटायरमेंट के लिए सामाजिक सुरक्षा या कंपनी पेंशन पर भरोसा नहीं कर सकता अपने सवालों के मुझे नए जवाब चाहिए |’’

वह सही था उसे नये जवाब जवाब चाहिए थे और मुझे भी मेरे माता-पिता की सलाह उन लोगों के लिए सही हो सकती थी जो 1945 के पहले पैदा हुए थे पर यह उन लोगो के लिए विनाशकारी साबित हो सकती थी जिन्होंने तेजी से बदल रही दुनिया में जन्म लिया था अब मैं अपने बच्चों से यह सीधी सी बात नहीं कर सकती थी,‘’स्कूल जाओ अच्छे ग्रेड हासिल करो और किसी सुरक्षित नौकरी की तलाश करो |’’

    मैं जानती थी कि मुझे अपने बच्चों की शिक्षा को सही दिशा देने के लिए नए तरीके की खोज करनी होगी |

                          एक मां और एक अकाउंटेंट होने के नाते में इस बात से परेशान थी कि स्कूल में बच्चों को धन संबंधी शिक्षा या वित्तीय शिक्षा नहीं दी जाती हाई स्कूल खत्म होने से पहले ही आज के युवाओं के पास अपना क्रेडिट कार्ड होता है यह बात अलग है की उन्होंने कभी धन संबंधी पाठ्यक्रम में भाग नहीं लिया होता है और उने यह भी नहीं पता होता है कि इसे किस तरह निवेश किया जाता है इस बात का ज्ञान तो दूर की बात है |

कि क्रेडिट कार्ड पर चक्ररुध ब्याज की गणना किस तरह की जाती है इसे आसान भाषा में कहे तो उन्हें धन संबंधी शिक्षा नहीं मिलती और यह ज्ञान भी नहीं होता कि पैसा किस तरह काम करता है | इस तरह वे उस दुनिया का सामना करने के लिए कभी तैयार नहीं हो पाते जो उनका इंतजार कर रही है | एक ऐसी दुनिया जिस में बचत से ज्यादा खर्च को महत्व दिया जाता है. |

रिच डैड, पुअर डैड

रोबर्ट कियोसकी के अनुसार

Rich Dad Poor Dad Book Summary Hindi

 मेरे दो डैडी थे एक अमीर और दूसरे गरीब | एक बहुत पढे-लिखे थे और समझदार थे | वे पीएच.डी थे और उन्होंने अपने चार साल के अंडरग्रेजुएट कार्य को 2 साल से भी कम समय में कर लिया था इसके बाद वे आगे पढ़ने के लिए स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो तथा नार्थवेस्ट यूनिवर्सिटी गए और यह सब उन्होंने पूरी तरह से स्कॉलरशिप के सहारे ही किया मेरे दूसरे डैडी आठवीं के आगे नहीं पड़े थे |

                            दोनों ही अपने करियर में सफल थे | दोनों ने ही जिंदगी भर काफी कड़ी मेहनत करी थी दोनों में ही काफी पैसा कमाया था परंतु उनमें से एक पूरी जिंदगी पैसे के लिए परेशान होता रहा दूसरा हवाई के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बन गया एक के मरने पर उसके परिवार चर्चा और जरूर मंदो को करोड़ों डॉलर की दौलत मिली | दूसरा अपने पीछे कर्ज छोड़कर मरा |

                             मेरे दोनों डैडी इरादे के पक्के चमत्कारी और प्रभावशाली थे दोनों ने ही मुझे सलाह दी परंतु उनकी सलाह एक से नहीं थी दोनों ही शिक्षा पर बहुत जोर देते थे परंतु उनके द्वारा सुनाए गए पढ़ाई के विषय अलग-अलग थे |

                             अगर मेरे पास केवल एक ही डैडी होते तो मैं यह तो उनकी सलाह मान लेता या फिर उसे ठुकरा देता | क्योंकि सलाह देने वाले दो थे इसलिए मेरे पासदो विरुद्धभासि विचार होते थे | (एक अमीर आदमी का और दूसरा गरीब आदमी का)

                               किसी भी एक विचार को सीधे-सीधे मान लेने या न माने ने के बजाय में उनकी सलाह हो पर काफी सोच करता था, उनकी तुलना करता था और फिर खुद के लिए फैसला किया करता था |

 समस्या यही थे कि आमिर डैडी अभी अमीर नहीं थे और गरीब डैडी अभी गरीब नहीं थे | दोनों ही अपने करियर की शुरुआत कर रहे थे और दोनों ही दौलत तथा परिवार के लिए मेहनत कर रहे थे |

                               उदाहरण के तौर पर एक डैडी कहते थे, ‘’पैसे का मोह ही सभी बुराइयों की जड़ है|’’ जबकि दूसरे डैडी कहां करते थे पैसों की कमी ही सभी बुराइयों की जड़ है |’’

                               जब मैं छोटा था तो मुझे दोनों डॅडी की अलग-अलग सलाहों से दिक्कत होती थी | एक अच्छा बच्चा होने के नाते में दोनों की बातें सुनना चाहता था | परेशानी यह थी की दोनों एक सी बातें नहीं करते थे | उनके विचारों में जमीन आसमान का फर्क था, खासकर पैसों के मामले में | में काफी लंबे समय तक यह सोचा करता कि उनमें से किसने क्या कहा क्यों कहा, और उनका परिणाम क्या होगा |

                               मेरा बहुत सा समय सोच विचारों में गुजर जाता था | मैं खुद से बार-बार इस तरह के सवाल पूछा करता, ‘’उन्होंने ऐसा क्यों कहा?’’ और फिर दूसरे डैडी की कही हुई बातों के बारे में भी इसी तरह के सवाल पूछता | काश मैं यह बोल सकता, ‘’हां, वे बिल्कुल सही है | मैं उनकी बातों से पूरी तरह सहमत हु |

या यह कहकर मै सीधी उनकी बात ठुकरा सकता, ‘’बर्थडे को यह नहीं पता था कि वह क्या कह रहा है |’’ क्योंकि दोनों ही मुझे प्यारे थे इसलिए मुझे खुद के लिए सोचने पर मजबूर होना पड़ा | इस तरह सोचना मेरी आदत बन गई जो आगे चलकर मेरे लिए बहुत फायदेमंद साबित हुई अगर मैं एक तरफ से ही सोच पता तो यह मेरे लिए इतना फायदेमंद नहीं होता |

 धन-दौलत का विषय स्कूल में नहीं, बल्कि घर पर पढ़ाया जाता है | शायद इस लिए अमीर लोग और ज्यादा अमीर होते जाते हैं जबकि गरीब और ज्यादा गरीब होते जाते है और मध्य वर्ग कर्ज में डूबा रहता है हमसे ज्यादातर लोग पैसे के बारे में अपने माता-पिता से सीखते हैं | कोई गरीब पिता अपने बच्चों को पैसे के बारे में क्या सीखा सकता है वह सिर्फ इतना ही कह सकता है ‘’स्कूल जाओ और मेहनत से पढ़ो |’’

हो सकता है वह बच्चा अच्छे नंबरों से कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर ले फिर भी पैसों के मामले में उसकी मानसिकता और उसका सोचने का ढंग एक गरीब आदमी जैसा ही बना रहेगा यह सब उनसे तब सिखा था जब वह छोटा बच्चा था |

                               धन का विशेय स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाता | स्कूलों में शैक्षणिक और व्यवसायिक निपुणताओ पर जोर दिया जाता है | न की धन संबंधी निपुणता पर | इससे यह साफ होता जाता है की जींन स्मार्ट बैंकर्स, डॉक्टर और एकाउंट्स की स्कूल में अच्छे नंबर आते हैं वे जिंदगी भर पैसे के लिए संघर्ष क्यों करते हैं | हमारे देश पर जो भारी कर्ज लदा हुआ है वह काफी हद तक उन उच्च शिक्षित राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों के कारण है जो आर्थिक नीतियो बनाते हैं और मजे की बात यह है कि वे धन के बारे में बहुत कम जानते हैं |

 क्योंकि मेरे पास दो प्रभावशाली डैडी थे इसलिए मैंने दोनों से ही सीखा मुझे दोनों की सलाह पर सोचना पड़ता था इस तरह से सोचते-सोचते मैंने यह भी जान लिया कि किसि व्यक्ति के विचार उसकी जिंदगी पर कितना जबरदस्त प्रभाव डाल सकते हैं उदाहरण के तौर पर एक डैडी को यह कहने की आदत थी, ‘’मैं इसे नहीं खरीद सकता |’’ दूसरे डैडी इन शब्दों के इस्तेमाल से चिड़ते थे वह जोर देकर कहा करते थे कि मुझे इसके बजाया यह कहना चाहिए ‘’मैं इसे कैसे खरीद सकता हूं?’’ पहला वाक्य नकारात्मक है और दूसरा प्रश्नवाचक |

एक में बात खत्म हो जाती है और दुसरे में आप सोचने के लिए मजबूर हो जाते है मेरे जल्द ही अमीर बनने वाले डैडी ने मुझे समझाया कि जब हम कहते हैं मैं इसे नहीं खरीद सकता तो हमारा दिमाग काम करना बंद कर देता है इसके बजाय जब हम यह सवाल पूछते हैं मैं इसे कैसे खरीद सकता हूं तो हमारा दिमाग काम करने लगता है | उनका यह  मतलब था कि आपका जिस चीज पर दिल आ जाए उसे खरीद ही ले |

वे लगभग दीवानगी के हद तक अपने दिमाग को कसरत करवाना चाहते थे क्योंकि उनके ख्याल से दिमाग दुनिया का सबसे ताकतवर कंप्यूटर है | ‘’मेरा दिमाग हर रोज तेज होता जाता है क्योंकि में इसकी कसरत करता रहता हूं यह जीतना तेज होता जाता है मैं इसकी मदद से उतना ही ज्यादा पैसे कमा सकता हूं |’’  उनका मानना था कि ‘मैं इसे नहीं खरीद सकता’ कहना दिमागी आलस की पहचान है |

 हालांकि दोनों ही डैडी अपने काम में कड़ी मेहनत करते थे, परंतु मैंने देखा कि पैसे के मामले में एक डैडी की आदत यह थी कि वह अपने दिमाग को सुला देते थे और दूसरी डैडी अपने दिमाग को लगातार कसरत करवाते रहते थे इसका दीर्गकालीन परिणाम यह हुआ कि एक डैडी आर्थिक रूप से बहुत अमीर होते चले गए जबकि दूसरे डैडी लगातार कमजोर होते गए |

इसे इस तरह से समझे कि एक व्यक्ति हर रोज कसरत करने के लिए जिम जाता है जब कि दूसरा व्यक्ति अपने सोपे पर बैठकर टीवी देखता रहता है | शरीर की सही  कसरत से आप ज्यादा तंदुरुस्त हो सकते हैं और दिमाग की सही कसरत से आप ज्यादा अमीर हो सकते हैं आलस्य से स्वास्थ और धन दोनों का नुकसान होता है |

मेरे दोनों डैडी के विचारधारा में जमीन आसमान का अंतर था | एक डैडी की सोच ती की अमीर लोगों को ज्यादा टैक्स देना चाहिए ताकि बेचारे गरीबो को ज्यादा फायदा मिल सके | जबकि दूसरे डैडी कहते थे,‘’टैक्स उन लोगों को सजा देता है जो उत्पादन करते हैं और उन लोगों को इनाम देता है जो उत्पादन नहीं करते |’’  

एक डैडी सिखाते थे, ‘’मेहनत से पढ़ो ताकि तुम्हें किसी अच्छी कंपनी की नौकरी मिल जाए |’’ जबकि दूसरे डैडी की सीख यह थी की मेहनत से पढो ताकि तुमे किसी अच्छी कंपनी को खरीदने का मौका मिल जाए |’’ एक डैडी कहते थे मैं इसलिए अमीर नहीं हूं क्योंकि मुझे बाल-बच्चों को पलना पड़ता है |’’दूसरे डैडी कहते थे, ‘’मुझे इसलिए अमीर बनना है क्योंकि मुझे बाल-बच्चों को पालना है |’’ 

 एक डैडी डिनर की टेबल पर पैसे और बिजनेस के बारे में बात करने के लिए हमेशा प्रोत्सहित करते थे | दूसरे डैडी भोजन करते समय पैसों की बातें करने के लिए मना करते थे |एक का कहना था, ‘’जहां पैसे का सवाल हो, सुरक्षित कदम उठाओ खतरा मत उठाओ |’’दूसरे का कहना था, खतरों का सामना करना सीखो |’’

  एक का मानना था हमारा घर ही हमारा सबसे बड़ा निवेश और हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है |’’ दूसरे का मानना था मेरा घर मेरा दायीत्व है, अगर आपका घर आपकी नजर में आपका सबसे बड़ा निवेश है तो आप गलत है |’’ दोनों ही डैडी अपने बिल समय पर चुकाते थे, परंतु इनमें से एक सबसे पहले अपने बिल चुका था जब कि दूसरा सबसे आखिर में |

 एक डैडी का यह मानना था कि कंपनियां या सरकार को अपका ध्यान रखना चाहिए और आपकी जरूरतों को पूरा करना चाहिए | वह हमेशा तनख्वाह में बढ़ोतरी, रिटायरमेंट योजना, मेडिकल लाब, बीमारी की छुट्टी, छुट्टियों के दिन और बाकी सुविधाओं के बारे में चिंतित रहते थे | वे अपने दोनों चचाओं से बहुत प्रभावित थे जो सेना सेवा में चले गए थे और 20 साल से सक्रिय जीवन के बाद उन्होंने अपने रिटायरमेंट और जीवन भर के आराम का इंतजाम कर लिया था |

वे मेडिकल लाब के विचारों को पसंद करते थे और सेना द्वारा अपने रिटायरमेंट कर्मचारियों को दी जा रही सुविधाओ की भी तारीफ करते थे | उने विश्वविद्यालय का टेन्योर सिस्टम भी काफी पसंद था | कई बार नौकरी से आजीवन मिल रही सुरक्षा और नौकरी के लाभ नौकरी से ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाते है | वे अक्सर यह कहते थे, ‘’मैंने सरकार के लिए बहुत मेहनत से काम किया है और इसलिए बदले में मुझे यह लाभ मिलने में चाहिए |’’

 दूसरे डैडी पूरी तरह आर्थिक स्वावलंब में विश्वास करते थे वह ‘सुविधाभोगी’ मानसिकता के विरोधी थे | वे यह मानते थे कि इस तरह की मानसिकता लोगों को कमजोर और आर्थिक रूप से जरूरतमंद बनती है | उनका दृढ़ विश्वास था कि आदमी को अरबपति रूप से सक्षम होना | एक डैडी कुछ डॉलर बचाने के लिए परेशान रहे | दूसरे डैडी एक के बाद एक निवेश करते रहे |

एक डैडी ने मुझे बताया कि अच्छी नौकरी तलाशने के लिए अच्छा सा बायोडाटा कैसे लिखा जाए | दूसरे ने मुझे यह सिखाया कि कैसे मजबूत व्यावसायिक और वित्तीय योजनाएं लिखी जाए जिससे मैं नौकरियां दे सकू दो प्रभावशाली डैडी के साथ रहने के कारण मुझे यह विश्लेषण करने का मौका मिला कि वह उनके विचारों का उनके जीवन पर कितना प्रभाव हो रहा है मैंने पाया कि दरअसल लोग अपने विचारों से ही अपने जीवन को दिशा देते हैं |

 उदाहरण के तौर पर, मेरे गरीब डैडी हमेशा कहां करते थे, ‘’मैं कभी अमीर नहीं बन पाऊंगा |’’ और उनकी यह भविष्यवाणी सही साबित हुई | दूसरी तरफ,  मेरे आमिर डैडी हमेशा खुद को अमीर समझते थे |   वे इस तरह की बातें करते थे, ‘’मैं अमीर हूं और अमीर लोग ऐसा नहीं करते|’’

एक बड़ी आर्थिक झटके के बाद जब वे दीवालिएपन की कगार पर थे, तब भी वह खुद को अमीर आदमी ही कहते रहे | वे अपने समर्थन में यह कहते थे, ‘’गरीब होने और पैसा ना होने में फर्क होता है | पैसा पास में न होना अस्थायी होता है जबकि गरीबी स्थायी है |’’   

मेरे गरीब डैडी यह भी कहते थे, ‘’मेरी पैसे में कोई रुचि नहीं है’’ या पैसा महत्व पूर्ण नहीं है |’  मेरे आमिर डैडी ’हमेशा कहते थे, ‘’पैसों में बहुत ताकत है |’’हो सकता है हमारे विचारों की ताकत को कभी भी मापा न जा सके, या फिर उन्हें पूरी तरह से समझा न जा सके | फिर भी  बचपन में ही मै यह समझ गया था कि हमें अपने विचारों पर ध्यान देना चाहिए और अपनी अभिव्यक्ति पर भी |

मैंने देखा कि मेरे गरीब डैडी  इसलिए गरीब नहीं थी क्योंकि वे काम करते थे बल्कि इसलिए गरीब थे क्योंकि उनके विचार और काम गरीबों की तरह थे | दो डैडी होने के कारण बचपन में ही में इस बारे में बहुत सावधान हो चला था कि मैं किस तरह की विचारधारा अपनाऊ | मैं किस की बात मान लूं अपने आमिर डैडी की या फिर गरीब  डैडी की?

 हलाकि की दोनों ही शिक्षा और ज्ञान को बहुत महत्वपूर्ण मानते थे, परंतु क्या सीखा जाए इस बारे में दोनों की राय अलग-अलग थी | एक चाहते थे कि मैं पढ़ाई में कड़ी मेहनत करु, डिग्री लू और पैसे कमाने के लिए अच्छी सी नौकरी ढूंढ लू | वे चाहते थे कि मैं एक पेशेवर अधिकारी , वकील या अकाउंटेंट बन जऊ या एम. बी. बी. एस कर लु |

दूसरी डैडी मुझे प्रोत्साहित करते थे कि मैं अमीर बनने का रहस्य सीख लु | यह समझ लु की पैसे किस तरह काम करता है और यह जान लु कि इससे अपने लिए कैसे काम लिया जाता है | ‘’मै पैसे के लिये काम नहीं करता |’’ इन शब्दों को वह बार-बार दोहराया करते थे, ‘’पैसा मेरे लिए काम करता है |’’

9 वर्ष की उम्र में मैंने यह फैसला किया कि पैसे के बारे में मैं अपने अमीर डैडी की बात सुनूंगा और उनसे सीखूंगा | यह फैसला करने का मतलब था अपने गरीब डैडी की बातों पर ध्यान ना देना हालांकि उनके पास कॉलेज की बहुत सी डिग्रियां थी जो मेरे अमीर डैडी के पास नहीं थी | 

पैसे के बारे में आपने पढ़े-लिखे डैडी की सलाह और नजरिए को ना सुनने का मेरा फैसला खुद का था परंतु यह एक ऐसा फैसला था जिसने मेरी जिंदगी की दिशा तय कर दी |

                       एक बार मैंने यह फैसला कर लिया कि मुझे किसकी बात सुननि है तो उसके बाद मेरी धन संबंधी शिक्षा शुरू हो गई | मेरे अमीर डैडी ने मुझे 30 साल से भी ज्यादा समय तक सिखाया तब तक जब की मेरी उम्र 39 साल नहीं हो गई | और उसके बाद उन्होंने सीखना बंद कर दिया उन्होंने यह देख लिया था कि मैं वह सब समझ चुका हूं जो वह मेरे मोटी बुद्धि में भरने की कोशिश कर रहे थे |

                       पैसा एक तरह की ताकत | है परंतु इससे भी बड़ी ताकत है वित्तिय शिक्षा | पैसा तो आता और जाता रहता है परंतु अगर आप यह जानते हैं कि पैसे किस तरह से काम करता है, तो आप ज्यादा ताकतवर हो जाते हैं और आप दौलत कमाना शुरू कर सकते है | केवल सकारात्मक चिंतन से ही समस्या हल नहीं हो सकती क्योंकि ज्यादा तर लोग स्कूल में पढ़ते हैं और वहां वे कभी यह नहीं सीख पाते कि पैसा किस तरह से काम करता है इस लिए वे पैसे के लिए काम करने में अपनी सारी जिंदगी बर्बाद कर देते है |

 मेरी शिक्षा जब शुरू हुई थी तब मैं केवल 9 साल का था और इसी कारण मेरी अमीर डैडी ने मुझे जो पाठ पढ़ाये थे वे बहुत आसान थे | और सारी बातों को छोड़कर विचार किया जाए तो उन्होंने मुझे 30 सालों तक कुल 6 महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाए | यह आर्टिकल उन्ही 6 पाढो के बारे में है और इसे भी उतना ही आसान बनाने की कोशिश की गई है जितना की मेरे अमीर डैडी ने इन्हें मेरे लिए आसान बनाया था |

यह पाठ आपके लिए जवाब की तरह नहीं लिखे गए हैं बल्कि मार्गदर्शन की तरह लेखे गये है |  एसे मार्गदर्शक जो ज्यादा अमीर बनने में आपकी और आपके बच्चों की मदद करेंगे चाहे बदलती हुई इस अनिश्चित दुनिया में कुछ भी होता रहे |

सबक एक :

अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते

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 दुनिया के ज्यादातर लोग रेट रेस में फंसे हुए हैं | वे अच्छी पढ़ाई करते हैं बड़े डिग्रीज लेते हैं और फिर एक नौकरी मिलने के बाद शादी करते हैं | और फीर एक अच्छा घर और गाड़ी लेते हैं | और फिर वह बाकी की पूरी जिंदगी उस नौकरी से कमाई हुई पैसे से अपने घर और गाड़ी का लोन चूका ते हुए निकाल देते हैं |

और जैसे ही उन्हें दोबारा कोई अच्छा ऑफर मिलता है वह एक बार फिर से लोन पर महंगी चीज खरीद लेते हैं | उन लोगों को इस बात का अहसास तक नहीं होता | कि वह मेहनत तो सबसे ज्यादा करते हैं लेकिन उस मेहनत का असली फायदा किसी और का होता है | बहुत सारे लोग इस रेट रेस से बाहर भी निकालना चाहते हैं | लेकिन तब तक बहुत देर हो जाती है |

                              ना चाहते हुए भी अपनी जिम्मेदारेओ, समाज में इज्जत, डर और बहुत सारी कारणों के वजह से बार-बार इसी प्रोसेस को दोहराते रहते हैं | और उसी लिए उने पूरी जिंदगी पैसे के लिए काम करना पड़ता है | लेकिन अमीर लोग कभी पैसे के लिए काम नहीं करते उनका पैसा उन के लिए काम करता है |

सबक दो:

पैसों की समझ क्यों सीखाई जानी चाहिए 

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हमारे स्कूल्स हमें एक अच्छा नौकर बनाने के लिए हमे तैयार करते हैं | हमारा एजुकेशन सिस्टम इस तरह से बनाया गया है  | की बहुत सारी पढ़ाई करो अच्छी डिग्री हासिल करो | और फिर एक अच्छी सी नौकरी पर लग जाओ लेकिन सच्चाई यह है की एक नौकरी किसी भी इंसान को अमीर नहीं बन सकती | क्योंकि नौकरी करने वाला इंसान जाने अनजाने में इसी रेट रेस का हिस्सा बन जाता है |

 और इस रेट रेस से हमेशा बाहर रहने के लिए | रिच डैड रॉबर्ट को बताते है | एसिटस और लायबिलिटी के बारे में | एसीट्स ओ चीज है जो हमारी जेब में पैसा डालती है | और लायबिलिटी वह चीज है | जो हमारी जेब से पैसा निकलती है | उदाहरण के लिए आपने एक कार खरीद कर उसे किसी ऐसे कम पर लगा दिया जहां से हर महने उसका पैसा मिलता है उसका किराया मिलता है | उसे एसिडस कहते हैं | क्योंकि वह कार आपके जेब में पैसा डाल रही है | 

और वही अपने लोन पर एक कर खरीद कर उसे अपने घर में खड़ा कर दिया उसे लायबिलिटी कहते हैं | क्योंकि वह कार आपके जेब से पैसा निकल रही है | इसलिए यदि किस इन्सान को अमीर बनना है तो रिच डैड कहते हैं | उसे सबसे ज्यादा एसिडस बनाने चाहिए | और जितना हो सके उतनी कम लायबिलिटी रखनी चाहिए | और यह बातें हमारे एजुकेशन सिस्टम में कभी भी नहीं सिखाई जाती | की पैसों से पैसा कैसे बनाया जाता है | इसलिए पैसों की समझ होना सबसे जरूरी है |’’

सबक तीन:

अपने काम से काम रखो

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 हमारी शिक्षा पद्धति आज की युवाओं में एकेडमीक कुशलताए विकसित कर यानि डेवलप करके उन्हें अच्छी नौकरी दिलाने के लिए तैयार करती है | उनकी जिंदगी उनके सेय्लरी के चारो तरफ घुमती है |

उनके आमदनी वाले कॉलम के चारों तरफ | वह अपनी सैलरी बढ़ाने के लिए उच्च शिक्षा हासिल करते है वे डॉक्टर, इंजीनियर, पुलिस, कुक, वैज्ञानिक इत्यादि बनने के लिए पढ़ाई करते हैं | उनकी यही व्यावसायिक योग्यता है उन्हें काम करने और पैसा कमाने का मोका देती है | तो वे पैसे के लिए काम करते हैं |

 आर्थिक रूप से सुरक्षित बनने के लिए आपको अपने काम से काम रखना आना चाहिए | आपका बिजनेस आपकी संपत्ति वाले कॉलम के चारों तरफ घूमता है | जो आपकी आमदनी वाली कोलम के विपरीत होता है 

संपत्ति तथा दायित्व के कॉलम में अंतर होता है | और हमें संपत्ति खरीदनी चाहिए, अमीर लोग अपने संपत्ति वाले कॉलम पर ध्यान देते हैं जबकि बाकी सभी लोग अपने इनकम स्टेटमेंट पर ध्यान देते हैं | आपकी प्रोफेशन और आपके बिजनेस में बहुत बड़ा अंतर है | लोग ज्यादातर अपने प्रोफेशन को ही अपना बिजनेस समझ लेते हैं |

आपका प्रोफेशन जरुरी है साथ में आपको अपने बिजनेस पर भी ध्यान देना चाहिए | यहां बिजनेस का अर्थ संपत्ति विकसित करने से है | आपको अपने संपत्ति वाले कॉलम में ध्यान देने तथा डेवलप करने की जरूरत है |

अपने काम से काम रखो | ‘’लोगों की जिंदगी में पैसे की तंगी इसलिए आती है क्योंकि वे अपनी सारी जिंदगी दूसरों के लिए काम करते रहते हैं कई लोग के पास जिंदगी भर काम करने के बाद भी अपने लिए कुछ नहीं बच पाता है |’’ 

 अपनी जॉब करते रहे पर सात में असली संपत्तियां खरीदने को भी शुरू करें | याद रखिए ऐसे दायित्व और व्यक्तिगत चीजों से बच्चे | जिनकी कीमत एक बार घर लाने पर ही काम हो जाती है | आखिर किस तरह की संपत्तियां हमें खरीदनी चाहिए | ऐसे बिजनेस जिसमें मेरे रहने की जरूरत नहीं है | मैं उनका मालिक जरूर हूं पर उन्हें दूसरे लोग चलाते हैं | स्टोक, बॉन्ड, आमदनी देने वाला रियल स्टेट आदि. और ऐसी हर एक चीज जो कीमती है जो आमदनी देती है | और जिसका मूल्य बढ़ जाता है |’’

सबक चार :

टैक्स का इतिहास और कॉरपोरेशन की ताकत 

Rich Dad Poor Dad Book Summary Hindi

  

 अमीर बनने के लिए टैक्स को समझना बहुत जरूरी है | अगर आप अमीर बनना चाहते हैं और अमीर बने रेहना चाहते हैं | तो आपको टैक्स को समझना और उसका फायदा उठाना आना चाहिए | सबको लगता है कि अमीर लोग ही ज्यादा टैक्स देते हैं पर ऐसा नहीं है | अमीर लोग टैक्स और उसे जुड़े सभी कानूनों को समझते हैं | और उसका फायदा उठाकर अपना टैक्स कम कर लेते हैं | अमीर लोग कॉरपोरेशन का इस्तेमाल करके काफी टैक्स बचा लेते हैं | कॉरपोरेशन के कानूनी ढांचे की ताकत के ज्ञान से अमीरों को गरीबों और मध्यवर्गीय लोगो के तुलना में बहोत जादा फायदा मिलता है |

 जिन्होंने कभी कॉरपोरेशन नहीं बनाया है वह लोग नहीं जानते | की कॉरपोरेशन जैसी कोई चीज नहीं होती है | ये केवल एक फाइल का फोल्डर होता है | जिसमें कुछ कानूनी दस्तावेज लगे होते हैं | और जो राज्य सरकार के एजेंसी में दर्ज होकर किसी वकील के ऑफिस में रखा होता है | यह कोई फैक्ट्री और लोगों का समूह भी नहीं होता है | कॉरपोरेशन केवल एक ऐसा कानूनी दस्तावेज है |

जो एक कानूनी देव ना देता है जिसकी कोई आत्मा नहीं होती | अमीर लोग या तो खुद सीखते हैं या ऐसे लोगों को जॉब पर रकते हैं जो फाइनेंशली इंटेलिजेंट है | फाइनेंशियल इंटेलिजेंट या फाइनेंशियल आय. किउ के बगैर फाइनेंशियल इंडिपेंडेंड हो पाना मुश्किल है | अगर आप पैसे कमा भी ले | तो उसे अपने पास बनाए रखने के लिए परेशानी होगी | फाइनेंशियल आय. किउ विशेष अज्ञ्ताओ से चार बड़े आनेवाले ज्ञान से बनता है | उदारण के तोर पर |

1] एकाउंटिंग –

यह फाइनेंशियल लिटरेसि या नम्बरों  को बढ़ाने की योग्यता है | यह बहुत ही महत्वपूर्ण स्किल है | अगर आप कामयाब होना चाहते हैं आप जितना पैसा कमाओगे उतनी ही बारकी की जरूरत होगी |एकाउंटिंग आने से आप फाइनेंशियल सिस्टम को अच्छे से पढ़ और समझ सकते है | इस योग्यता से ही आप किसी कंपनी की कमजोरीया और मजबूतियां को पहचान सकते है |

2] इन्वेस्टिंग –

यह पैसे से पैसा बनाने का वैज्ञान है | इसमें तकनीको, रणनीतियों और फार्मूला की जरूरत होती है |

3] अंडरस्टैंडिंग मार्केट –

यह सप्लाई और डिमांड को समझने का विज्ञान है | निवेश करने के पहले उसके फाउंड मेटल और इकोनामिक पहलुओं को समझने की जरूरत होती है, साथी ही मार्केट की तकनीकी पहलुओं को जानने की जरूरत होती है जोकी भावनाओं द्वारा संचालित होता है |

4] द लॉ –

अकाउंटिंग, इन्वेस्टमेंट, मार्केट के टेक्निकल और फंडामेंटल स्किल के सहारे कॉरपोरेशन का प्रयोग करके आप विस्फोटक रूधी पा सकते हैं | जिस भी व्यक्ति को कॉरपोरेशन द्वारा दिए जाने वाले टैक्स फायदो और सुरक्षा का ज्ञान हो वह बहुत ज्यादा तेजी से तरक्की कर सकता है | और अमीर बन सकता है जो किसी कर्मचारी या छोटे बिजनेसमैन के लिए संभव नहीं है | कर्मचारी कमाते हैं और टैक्स चुके हैं और फिर जो बचता है उससे अपना खर्च चलाते हैं | एक कॉरपोरेशन कमाता है जितना खर्च कर सकता है करता है फिर बची हुई है रकम पर टैक्स चुकता है |

सबक पाच

अमीर लोग पैसे का अविष्कार करते है 

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एक बार हम स्कूल छोड़ देते हैं | तो हम जानते हैं कि कॉलेज डिग्री होने या अच्छे नंबर लाने का कोई खास महत्व नहीं होता है | असल जिंदगी में अच्छे नंबर से ज्यादा महत्वपूर्ण बहादुरी, चलाकि, साहस, निरंतरता, प्रतिभा, जोखिम लेने की क्षमता इत्यादि होता है | जिसके होने से हम कामयाब बनते हैं | आदमी की प्रतिभा का सबसे बड़ा दुश्मन उसका डर और खुद की क्षमताओं के बारे में शंका करना है | असल जिंदगी में अक्सर स्मार्ट लोग आगे नहीं बढते हैं | बल्कि बहादुरबल्कि बहादुर लोग आगे बढ़ते हैं | फाइनेंशियल जीनियस बनने के लिए आपको टेक्निकल नॉलेज और बहादुरी दोनों की जरूरत है | 

अगर आपका डर ज्यादा है | तो वह आपके अंदर के जीनियस को दबा देगा | इसलिए खतरे लेना सीखे | बहादुर बने और अपनी प्रतिभा के द्वारा अपने डर को ताकत और चतुराई में बदले | फाइनेंशियल इंटेलिजेंन्सका मतलब है ज्यादा विकल्प होना | अगर अफसर आपके सामने नहीं आ रहे हैं | तो आप अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए क्या कर सकते है | आपके पास कोई अफसर आया है और आपके पास कोई पैसे नहीं है | और बैंक भी आपके उधर नहीं दे रहा तो आप उस अफसर का कैसे लाभ उठा सकते हैं | आप अपनी परेशानियों का समाधान खोजने के लिए कितने रचनात्मक है |

  ज्यादातर लोग एक ही समाधान जानते हैं | कड़ी मेहनत करो बचत करो और उधार लो | लोग फाइनेंशियल इंटेलिजेंन्स को जरूरी नहीं समझते पर यह बहुत जरूरी है | हमारी सबसे बड़ी पूंजी है हमारा दिमाग | अगर इसे अच्छे से प्रशिक्षित किया जाए तो यह बहुत सारी दौलत बना सकता है | वही अप्रशिक्षित दिमाग हमें गरीबी में धकेल सकता है | जो पिडिया तक बनी रह सकती है | जैसा कि पहले बताया गया है फाइनेंशियल इंटेलिजेंस इन 4 टेक्निकल चीजों से मिल कर बनी रहती है | अकाउंटिंग, इन्वेस्टिंग,अंडरस्टैंडिंग मार्केट,द .लो

 अगर आप पैसे बनाना चाहते हैं तो अप में यह मूलभूत आधारशिला और स्किल्स होनी चाहिए | निवेश आते–जाते रहते हैं मार्केट घटना–उठता रहता है | अर्थव्यवस्था ये सुधरती बिगड़ीती रहती है | दुनिया में आपको हर दिन जिंदगी के लिए सुनहरे अवसर मिलते रहते हैं | जीने हम अक्सर देखा नहीं पाते पर वे हमेशा होते है | फाइनेंशियल इंटेलिजेंस बढ़ने से ही आप इन छुपे हुए मेको को देख पाएंगे | तथा अच्छे सवदे और बुरे सवदे के बारे में फर्क कर पाएंगे |

निवेदक दो तरह के होते हैं :

1] पहले तरह के निवेशक जो पैकेज में निवेश करते हैं | वह रियल स्टेट कंपनी, स्टॉक ब्रोकर या फाइनेंशियल प्लानर के जरिए कुछ खरीदते है जैसी – म्युचुअल फंड, आर.इ.आई.टी स्टॉक्स, बाउंड आदि | यह खरीददारी का साफ-सुधरा और आसान तरीका है |

2] दूसरी तरह के निवेशक भी होते हैं जो निवेशों को बनाते हैं | इस तरह के निवेशक आम तौर पर निवेशों को असेंबल करते हैं, जिस तरह कंप्यूटर इंजीनियर कंप्यूटर के पुर्जा को असेंबल करते हैं | इसे लोग जानते हैं कि अच्छे अवसरो को कैसे असेंबल करते हैं | 

अगर आप दूसरे टाइप के निवेशक है तो आपको तीन इंपॉर्टेंट स्किल डेवलप करनी होगी |

1] किस तरह ऐसे मोके खोज जो दूसरे को दिखाई नहीं देते हो | दूसरे लोग अपनी आंखों से  ऐसे मौके नहीं देख पाएंगे | पर आप अपने दिमाग से उस मौके को देख सकते हैं |

2] पैसा किस तरह जुटाए | आम आदमी सिर्फ बैंक ही जाता है | दूसरे किस्म के निवेशक को यह पता होना चाहिए कि बैंक जाये बगैर पैसे कैसे जूटाया जा सकता है | ज्यादातर लोग सिर्फ इसलिए सौदा नहीं कर पाते क्योंकि उनके पास पैसे नहीं है | यह बहुत महत्वपूर्ण स्किल है जो की सिखाना बहुत जरूरी है |

3] स्मार्ट लोगों को किस तरह संगठित किया जाये | ऐसे लोग समझदार होते हैं जो या तो अपने से ज्यादा समझदार लोगों के साथ काम करते हैं या उन्हें काम पर रखते हैं | जब भी आपको सलाह की जरूरत हो तो सुनिश्चित कर ले की आपका सलाह कार समझदार हो |

‘’अगर आप इन स्किल्स को नहीं सीखना चाहते | तो पहले टाइप की निवेशक बने आप जो जानते हैं वही आपकी पूंजी है | और आप जो नहीं जानते वही आपका सबसे बड़ा रिस्क है | रिस्क तो हमेशा रहता ही है इसलिए इससे बचने की बजाय इसको मैनेज करना सीखे |’’

सबक छह:

सीखने के लिए काम करें- पैसे के लिए काम ना करें 

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मेरे पुअर डैड को हमेशा उनकी नोकरी की चिंता रहती थी | ओ सूबे टाइम से पहले ही ऑफिस के लिए निकल जाते थे | और इसी रेट रेस को इसी प्रक्रिया को वह पिछले हर साल से दोहरा रहे थे | शुरुआत में मुझे लगता था कि शायद वह अपने काम को बहुत ज्यादा पसंद करते है | लेकिन बाद में मुझे समझ आया इन्हें नौकरी से निकाले जाने का डर और सैलरी काटे जाने का डर यह काम करवा रहा था | लेकिन मेरे रिच डैड का मन था की किसी इंसान को अमीर बनना है तो उसे हर रोज कुछ ना कुछ नया सीखना चाहिए

 जिससे उसको सोचने की और समझने की क्षमता बढ़ती रहती है | वो कहते थे गरीब लोग इसलिए काम करते हैं | ताकि उनको पैसा मिल सके | लेकिन अमीर लोग इसलिए काम करते हैं, क्योंकि उसको और ज्यादा सीख सके और उसमें अच्छी पकड़ बनाकर खुद का एक बिज़नेस खड़ा कर सके | और वही इन दोनों का सबसे बड़ा अंतर था | वो एक को गरीब बनाता था और दूसरे को अमीर बनता था |

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काम में जुटें |

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आप सभी को दो महान उपहार दिए गए थे: आपका दिमाग और आपका समय | यह आपके हाथ में है कि आप इनका मनचाहा उपयोग कर सकते हैं | आपके हाथ में आने वाले हर डॉलर से आपको और केवल आपको वह ताकत मिल जाती है जो आपकी तकदीर को हम बनाती या बिगाड़ती है | अगर आप इसे मूर्खतापूर्ण तरीके से खर्च करते हैं तो आप गरीब रहने का विकल्प चुनते है |

अगर आप इसे दायित्वो पर खर्च करते हैं तो आप मध्य वर्ग में बने रहने का विकल्प चुनते है | अगर आप इसे अपने दिमाग में निवेश करते हैं और यह सीख लेते हैं कि किसी तरह संपत्तियों को बनाया जाता है तो आप दौलतमंद होने का विकल्प चुनते हैं | चुनाव आपका है और केवल आपका है | हर दिन, हर डॉलर के साथ आप अमीर, गरीब या मध्य वर्गीय होने का विकल्प चुनते हैं |

 अगर आप इस ज्ञान को अपने बच्चों के साथ बांटने का विकल्प चुनते हैं तो आप उन्हें उस दुनिया के लिए तैयार करने का विकल्प चुनते हैं जो उनका इंतजार कर रही है | यह कोई और नहीं करेगा |

आप और आपके बच्चों का भविष्य उस चुनाव पर निर्भर करता है जो आप आज करते हैं, आने वाले कल में नहीं | हम ऐसी कामना करते हैं कि आपके पास बहुत सी दौलत हो और आप जिंदगी नाम के महान उपहार में बहुत सा सुख भोगे | 

                                                                   – रॉबर्ट कियोसाकी

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